Skandapurāṇa Adhyāya 97 E-text generated on July 20, 2022 from the original TeX files of: Bisschop, Peter C. and Yuko Yokochi, eds. The Skandapurāṇa. Vol. V. Adhyāyas 96-112. The Varāha Cycle and the Andhaka Cycle Continued. Critical Edition with an Introduction & Annotated English Synopsis, in cooperation with Sanne Dokter-Mersch and Judit Törzsök. Leiden: Brill, 2021. (SP V) https://brill.com/view/title/59532 SP0970010: सनत्कुमार उवाच| SP0970011: तथाभूतं जगद्दृष्ट्वा देवास्ते दुःखपीडिताः| SP0970012: वैराजं लोकमासाद्य भूयो ऽपश्यन्पितामहम्|| १|| SP0970021: ते सर्वे समुपागम्य प्रणम्य च पुनः पुनः| SP0970022: ऊचुस्ते कर्म दैत्यस्य सर्व एव सुदुःखिताः| SP0970023: निवेद्य च पुनर्देवमूचुस्ते लोककारणम्|| २|| SP0970031: भगवन्हृतराज्याश्च दुर्बलाश्च तथा विभो| SP0970032: असमर्था वयं तस्य स्थातुं दैत्यस्य संयुगे| SP0970033: न तत्स्थानं प्रपश्याम यत्र तिष्ठाम विज्वराः|| ३|| SP0970040: सनत्कुमार उवाच| SP0970041: तेषां तद्वचनं श्रुत्वा भीतानां त्रिदिवौकसाम्| SP0970042: उवाच भगवान्ब्रह्मा सर्वानेव दिवौकसः|| ४|| SP0970051: न भेतव्यं सुरास्तस्य योगिनः सुमहात्मनः| SP0970052: समाप्तं तपसः सर्वं फलं दैत्यस्य तस्य तत्|| ५|| SP0970061: कालस्तस्याभिसंप्राप्तो जीवितान्तकरः सुराः| SP0970062: तस्मात्सर्वे मया सार्धं यात विष्णुं प्रयाचत|| ६|| SP0970071: भवन्तो निर्बला ह्यद्य अशक्तास्तस्य बाधने| SP0970072: विष्णुः शक्तः स तं दैत्यं जीविताच्च्यावयिष्यति|| ७|| SP0970081: पूर्वं हि जाते तस्मिंस्तु वागुवाचाशरीरिणी| SP0970082: नायं वध्यो मनुष्यस्य न देवस्य कथंचन|| ८|| SP0970091: नापि तिर्यक्षु जातस्य न भूमौ न च तेजसि| SP0970092: नाकाशे नापि लोकेषु महात्मायं भविष्यति|| ९|| SP0970101: स एष देवा दैत्येशो महात्मा धार्मिकस्तथा| SP0970102: अवध्यः सर्वभूतानां वध्यो दुःखाद्भविष्यति|| १०|| SP0970111: वाराहं रूपमास्थाय न देवत्वं न मानुषम्| SP0970112: न च तिर्यक्षु तज्जातं नरवाराहमस्ति वै|| ११|| SP0970121: पाताले च प्रविश्यैव नासौ भूर्नापि खं हि तत्| SP0970122: न तेजो नापि लोको ऽसौ सर्वतो युक्तमेव तत्|| १२|| SP0970130: सनत्कुमार उवाच| SP0970131: ततस्ते हृषिताः सर्वे प्रणम्य च पितामहम्| SP0970132: ऊचुर्गच्छाम देवेश कालो ऽतिक्रामते हि नः|| १३|| SP0970141: ततस्ते सर्व एवेत्य श्वेतं पर्वतसत्तमम्| SP0970142: विष्णुं सहिष्णुं जिष्णुं च दानवायुतमर्दनम्| SP0970143: अस्तुवन्वाग्भिरिष्टाभिः प्रणम्य बहुमानतः|| १४|| SP0970151: नमः सर्वरिपुघ्नाय दानवान्तकराय च| SP0970152: नमो ऽजिताय देवाय वैकुण्ठाय महात्मने|| १५|| SP0970161: नमो निर्धूतरजसे नमः सत्याय चैव ह| SP0970162: नमः साध्याय देवाय नमो धाम्ने सुवेधसे|| १६|| SP0970171: नमो यमाय देवाय जयाय च नमो नमः| SP0970172: नमश्चादितिपुत्राय नरनारायणाय च|| १७|| SP0970181: नमः सुमतये चैव नमश्चैवास्तु विष्णवे| SP0970182: नमो वामनरूपाय कृष्णद्वैपायनाय च|| १८|| SP0970191: नमो रामाय रामाय दत्तात्रेयाय वै नमः| SP0970192: नमस्ते नरसिंहाय धात्रे चैव नमो नमः|| १९|| SP0970201: नमः शकुनिहन्त्रे च नमो दामोदराय च| SP0970202: सलिले तप्यमानाय नागशय्याप्रियाय च|| २०|| SP0970211: नमः कपिलरूपाय महते पुरुषाय च| SP0970212: नमो जीमूतरूपाय महादेवप्रियाय च|| २१|| SP0970221: नमो रुद्रार्धरूपाय तथोमारूपिणे नमः| SP0970222: चक्रमुद्गरहस्ताय महेश्वरगणाय च|| २२|| SP0970231: शिविपिष्टाय च सदा नमः श्रीवत्सधारिणे| SP0970232: धुन्धुमाराय शूराय मधुकैटभघातिने|| २३|| SP0970241: चतुर्भुजाय कृष्णाय रत्नकौस्तुभधारिणे| SP0970242: त्रिविक्रमवियत्स्थाय पीतवस्त्रसुवाससे|| २४|| SP0970251: नमः पुरविघाताय गदाखड्गोग्रधारिणे| SP0970252: योगिने यजमानाय भृगुपत्नीप्रमाथिने|| २५|| SP0970261: वृषरूपाय सततं आदित्यानां वराय च| SP0970262: चेकितानाय दान्ताय शौरिणे वृष्णिबन्धवे|| २६|| SP0970271: पुराश्वग्रीवनाशाय तथैवासुरसूदिने| SP0970272: नमस्ते शार्ङ्गधनुषे सौभसाल्वविघातिने|| २७|| SP0970281: नमस्ते पद्मनाभाय ब्रह्मसत्पथदर्शिने| SP0970282: नमो जयाय शर्वाय रुद्रदत्तवराय च|| २८|| SP0970291: नमः सर्वेश्वरायैव नष्टधर्मप्रवर्तिने| SP0970292: पुरुषाय वरेण्याय नमस्ते शतबाहवे| SP0970293: तव प्रसादात्कृच्छ्रान्वै तरामः पुरुषोत्तम|| २९|| SP0970301: हृतराज्या वयं सर्वे न त्वं वेत्सि महाभुज| SP0970302: हिरण्याक्षेण वैकुण्ठ तं नाशय नमो ऽस्तु ते|| ३०|| SP0970310: सनत्कुमार उवाच| SP0970311: य इदं वैष्णवं स्तोत्रं भक्त्या परमया युतः| SP0970312: कीर्तयेत्सततं मर्त्यः सर्वपापैः प्रमुच्यते|| ३१|| SP0970321: मृतश्च सर्वलोकेषु वर्षकोटिं चतुर्दश| SP0970322: पूजितः सर्वदेवैश्च मोदते नात्र संशयः|| ३२|| SP0970331: कीर्तयत्येव य इदं पापेभ्यो विप्रमुच्यते| SP0970332: स मृत्युलोकमप्राप्य चरते दुःखवर्जितः|| ३३|| SP0970340: सनत्कुमार उवाच| SP0970341: तेषां तद्वचनं श्रुत्वा भगवान्स जगत्पतिः| SP0970342: उवाच सुरशार्दूलानिदं संपूजयंस्तदा|| ३४|| SP0970351: हतः स दैत्यो दुर्बुद्धिर्देवद्विड्विघ्नकारकः| SP0970352: क्रियतां रूपमभ्येत्य वाराहं मा विचार्यताम्|| ३५|| SP0970361: महात्मा स च दैत्येन्द्रो बलवान्धार्मिकश्च ह| SP0970362: न च शक्यो मयैकेन हन्तुं सत्यं ब्रवीमि वः|| ३६|| SP0970371: सर्वदेवमयं रूपं वाराहं नन्दिवर्धनम्| SP0970372: तत्समास्थाय हन्तास्मि दैत्येन्द्रं तं महाबलम्|| ३७|| SP0970381: तेन रूपेण सर्वेषां युष्माकं देवसत्तमाः| SP0970382: महीं शक्यं पुनस्तस्मादिहानयितुमोजसा|| ३८|| SP0970391: युष्मदर्थे तमद्याहं दानवं धर्मपालिनम्| SP0970392: वधिष्यामि यथा सिंहं शरभः सुमहाबलः|| ३९|| SP0970401: राजास्माकमयं श्रेष्ठः सहस्राक्षः पुरंदरः| SP0970402: दीक्षितो दैत्ययज्ञेन होता त्वस्य बृहस्पतिः|| ४०|| SP0970411: ब्रह्मा ब्रह्मत्वमापन्नः प्रस्थाता यम इत्यपि| SP0970412: उद्गाता वरुणश्चात्र हिरण्यनयनः पशुः| SP0970413: शमिताहं सुरश्रेष्ठाः पशोस्तस्य महात्मनः|| ४१|| SP0970421: अद्य पश्यन्तु भूतानि मम तस्यैव चोभयोः| SP0970422: - - - - - - - - - - - - - - - -| SP0970423: अरण्ये वासिताहेतोर्मत्तयोर्गजयोरिव|| ४२|| SP0970431: तस्य तद्वचनं श्रुत्वा गर्जितं च महात्मनः| SP0970432: हर्षोत्फुल्लेक्षणाः सर्वे निरीक्षन्तः परस्परम्| SP0970433: मेनिरे हत-म्-इत्येव दैत्येन्द्रं सुमहाबलम्|| ४३|| SP0970441: तेषां तदोत्फुल्लकुशेशयाभवक्त्रेक्षणानां हृषितो रवो ऽभूत्| SP0970442: हतः स दैत्यो नरसिंहरूपिणा यथा पुरा तस्य गुरुर्महाबलः|| ४४|| SP0979999: इति स्कन्दपुराणे सप्तनवतितमो ऽध्यायः||